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भीषणो भैरवः पातु उत्तरस्यां तु सर्वदा

लज्जायुग्मं वह्निजाया स तु राजेश्वरो महान् ॥ १३॥

भैरवं कवचं ब्रूहि यदि चास्ति कृपा मयि ॥ १॥

According to the legend, Sri Batuka Bhairva was a 5-12 months-previous kid who was incarnated to diminish the demon named ‘’Aapadh’’. It can also be construed the Slokam is always to be recited to overcome fears and dangers.

साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।

नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे

बिल्वमूले पठेद्यस्तु पठनात्कवचस्य यत् । त्रिसंध्यं पठनाद् देवि भवेन्नित्यं महाकविः ।।

ಯೋ ದದಾತಿ ನಿಷಿದ್ಧೇಭ್ಯಃ ಸ ವೈ ಭ್ರಷ್ಟೋ ಭವೇದ್ಧ್ರುವಮ್

भीषणास्यो ममास्यं च शक्तिहस्तो check here गलं मम

वाद्यं वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा

ನಾಖ್ಯೇಯಂ ನರಲೋಕೇಷು ಸಾರಭೂತಂ ಚ ಸುಶ್ರಿಯಮ್

शत्रु के द्वारा किये हुए मारण, मोहन, उच्चाटन आदि तंत्र दोष नष्ट होते है, उनसें रक्षा होती है।

ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः

नागं घण्टां कपालं करसरसिरुहैर्विभ्रतं भीमदंष्ट्रं

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